भारत के चार धामों में से एक ‘रामेश्वरम’ है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है। कहा जाता है कि जैसे उत्तर में ‘काशी’ का महत्व है, वैसे ही दक्षिण में ‘रामेश्वरम’ विशेष है। यहां पर डुबकी लगाने से सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं। इसलिए, यदि आप किसी आध्यात्मिक स्थान की योजना बना रहे हैं, तो रामेश्वरम आपका पसंदीदा स्थान हो सकता है।
भारत के दक्षिण में स्थित तमिलनाडु के ‘रामेश्वरम’ मंदिर एक साधारण मंदिर नहीं है, बल्कि यहां धर्म और आस्था का एक सागर है। इस मंदिर में गंगाजल से प्रभू की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और इस पवित्र जल में स्नान करने से गंभीर बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। इसके कारण हर साल लाखों लोग रामेश्वरम जाते हैं और प्रभु की पूजा करते हैं। आप भी अगर किसी आध्यात्मिक सफर की योजना बना रहे हैं, तो रामेश्वरम के दर्शन के लिए जरूर जाएं।
रामेश्वरम सनातन धर्म के चार धामों में से एक है, और मंदिर की स्थापना की कहानी भी विशेष है।
जानिए क्या है रामेश्वरम की कहानी
रावण ने सीताजी का हरण किया था, और जब भगवान राम ने उन्हें वापस लाने का प्रयास किया तो उन्हें ब्राह्मण हत्या के पाप का सामना करना पड़ा। इसके बाद श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रभु शिवलिंग की पूजा करके ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने का प्रयास किया।
यही कारण है कि रामेश्वरम में वहां के प्रमुख मंदिर में दो शिवलिंगों की पूजा की जाती है, जो आज भी ज्योतिर्लिंग के रूप में माने जाते हैं।
रामेश्वरम का गलियारा विश्व का सबसे लंबा है और यहां ‘अग्नि तीर्थम’ स्थित है, जिसमें स्नान करने से सभी बीमारियां और पापों का नाश होता है। इस तीर्थ के जल का रहस्य अज्ञेय है, लेकिन यह एक अद्भुत चमत्कार माना जाता है।