केदारेश्वर हिमालय की गोदी में स्थित एक पवित्र हिन्दू धार्मिक स्थल है जिसे महादेव का एक अद्वितीय रूप माना जाता है। यह स्थल प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है और शिव भगवान के एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है।
केदारेश्वर की कहानी पुरानी धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में विस्तारपूर्ण रूप से वर्णित है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार:
कृतयुग में ऋषि पराशर ने महर्षि शिलाद्वल को शिव पूजा की महत्वपूर्ण विधियों का उपदेश दिया था। शिलाद्वल ने उसी विधि के अनुसार केदारेश्वर में शिवलिंग की पूजा की थी। यह पूजा बहुत आदर्शपूर्ण थी और उनकी तपस्या ने भगवान शिव को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने उनसे एक वरदान मांगा, जिसमें वह अपनी शक्ति को उनके शरीर में आने की अनुमति दें। शिलाद्वल ने इस वरदान को स्वीकार किया और बोले कि उनकी शक्ति जब भी विशेष परिस्थितियों में जरुरत पड़ेगी, तो वह केदारेश्वर में उपस्थित रहेगी।
युगों बाद, त्रेतायुग में, महाकवि वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम की कथा रची। रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने अपनी विजय के बाद केदारेश्वर आकर शिवलिंग की पूजा की थी ताकि वे अपने पूरे युद्ध में किए गए पापों से मुक्त हो सकें।
कलियुग में, आदि शंकराचार्य ने केदारेश्वर में महत्वपूर्ण पूजा प्रथाएँ स्थापित की और उसे एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक स्थल बनाया।
इस प्रकार, केदारेश्वर के संबंध में विभिन्न युगों में होने वाली घटनाओं और पुरानी कथाओं का एक सुंदर मिश्रण है, जिससे यह स्थल हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक बन गया है।
केदारनाथ पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं:
1. हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचें: आपकी केदारनाथ की यात्रा आमतौर पर हरिद्वार या ऋषिकेश से शुरू होती है। ये दो शहर मुख्य शहरों जैसे दिल्ली से सड़क और रेल से जुड़े होते हैं। आप हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचने के लिए ट्रेन या बस ले सकते हैं।
2. गौरीकुण्ड की ओर बढ़ें: हरिद्वार या ऋषिकेश से, आपको गौरीकुण्ड की ओर बढ़ना होगा, जो केदारनाथ की यात्रा के लिए ट्रेक की आधार है। गौरीकुण्ड लगभग 5-6 घंटों की दूरी पर हरिद्वार और ऋषिकेश से है।