घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग-Ghraneshwar

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है, और भगवान भोलेनाथ का यह प्रसिद्ध मंदिर अपने वेरुल गांव के करीब 30 किलोमीटर दूर, औरंगाबाद शहर से स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को घुष्मेश्वर भी कहा जाता है। इस सावन मास में, आप यहां भगवान शिव के दर्शन और पूजा-पाठ के लिए जा सकते हैं। शिवमहापुराण में इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख है और माना जाता है कि यहां शिव के दर्शन और पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में पौराणिक कथा क्या है, इसे जानने का हौंसला बनाएं।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, अजंता और एलोरा की गुफाओं के पास स्थित है और इस शिवलिंग की कथा घुष्मा नामक शिव भक्त से जुड़ी हुई है। इस मंदिर का शिवलिंग घृष्णेश्वर या घुष्मेश्वर कहलाता है, जिसे इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 18 वीं शताब्दी में जीर्णोद्धार किया था। इस मंदिर में सावन के महीने में भगवान शिव के भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा ब्राह्मण पत्नी सुदेहा रहती थी, जिनकी कोई संतान नहीं थी। सुदेहा ने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया, जो भगवान शिव की भक्त थी। घुष्मा रोज 100 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती और उन्हें तालाब में विसर्जित कर देती थी। उसे शिव की कृपा से एक पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन समय के साथ छोटी बहन की खुशी में देखी नहीं गई, और एक दिन उसने अपने पुत्र को हत्या करके तालाब में फेंक दिया। इसके परिणामस्वरूप पूरा परिवार दुख से भरा हुआ था। फिर भी, शिव भक्त घुष्मा ने अपनी भक्ति और आस्था में लगी रही, और एक दिन उसने अपने पुत्र को फिर से जीवित पाया। इस पौराणिक कथा के कारण, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम पड़ा।